हिंदी कहानी
शेरनी, जैसा कि हम जानते हैं, एक भयंकर, अभिमानी प्राणी है, और छोटे जानवरों को हमेशा दबाने की प्रवृत्ति रखती है। एक बार एक शेरनी जंगल में भाग रही थी, और तभी उसके पंजे में एक कांटा चुभ गया। क्योंकि शेरनी काफी अभिमानी थी तो उसने किसी से मदद न मांगने का फैसला किया। खून बहता जा रहा था, वह कमजोर हो रही थी।
घर जाकर उसने अपनी पढाई को अनवरत रखा, इसी समय उन्हें गाँव के जमीदार के यहाँ पर नौकरी मिल गई.
तुम भूमि के इस छोटे से टुकड़े के लिए अपने अनमोल जीवन को व्यर्थ करने पर तुले हुए हो? यह भूमि न तुम्हारी हैं न तुम्हारी बनेगी.
समदा रे कांठे ब्याई म्हारा बीर – टमरकटूँ
यह क्या कठिन हैं दोनों को नदी में नहलाने ले जाओं जो आगे नदी में घुसे वही माँ हैं और जो पीछे पीछे चले वही बेटी हैं.
कुछ दिन बाद पड़ोसी राजा ने इस राजा पर चढ़ाई करने की सोची. उसने सीमा पर अपनी सेना जमा कर दी.
आ ही गये है तो परीक्षा देनी ही पड़ेगी. दानवों ने किवाड़ बंद किया लड्डुओं के थाल पर टूट पड़े.
और हम लोगों का सामूहिक विनाश भी नही होगा, क्युकि प्रजा पर कृपा करने वाला राजा निरंतर बढ़ोतरी प्राप्त करता हैं. सिंह उनकी बात मान गया.
तब से वन्य प्राणी निर्भय होकर रहने लगे, इसी क्रम में कुछ दिनों बाद एक खरगोश की बारी आई, खरगोश सिंह की गुफा की ओर चल पड़ा.
वे अपने आप तुमसे छोटे हो जाएगे..
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कमरे में से हो हो ही ही की आवाज आती रही. चीखते चिल्लाते और लड़ते झगड़ते रहे.
थोड़ी देर बाद उसे लगा कि उसके सिर पर कोई हाथ फेर रहा हैं. जब उमा ने नजर उठाकर देखा तो सामने उसकी माँ थी वह समझाते हुई बोली, बेटा कोई भी काम बिगाड़ना आसान है मगर उसे बनाना बहुत कठिन हैं.
समदा रे कांठे ब्याई म्हारा बीर – टमरकटूँ